Saturday, 10 August 2013

brahma krut shiva stotram ->ब्रह्माकृत शिव स्तोत्रम्<-


नमस्ते भगवान रुद्र भास्करामित तेजसे नमो शर्वाय क्षितिरूपाय नंदीसुरभये नमः| 1.

ईशाय वसवे सुभ्यं नमः स्पर्शमयात्मने|
भवाय देवाय रसायाम्बुमयात्मने|| 2.

पशूनां पतये चैव पावकायातितेजसे भीमाय व्योम रूपाय शब्द मात्राय ते नमः|| 3.

उग्रायोग्रास्वरूपाय यजमानात्मने नमः महाशिवाय सोमाय नमस्त्वमृत मूर्तये|| 4.

ब्रह्माजी बोले कि हे भगवान! हे रुद्र! आपका तेज अनगिनत सूर्यों के तेज सा है| रसरूप, जलमय विग्रहवाले हे भवदेव! आपको नमस्कार है | 1.

नंदी और सुरभि कामधेनु भी आपके ही प्रतिरूप हैं| पृथ्वी को धारण करनेवाले हे शर्वदेव! आपको नमस्कार है| हे वायुरुपधारी, वसुरुपधारी आपको नमस्कार है | 2.

अग्निरुप तेज व पशुपति रूपवाले हे देव! आपको नमस्कार है| शब्द तन्मात्रा से युक्त आकाश रूपवाले हे भीमदेव! आपको नमस्कार है | 3.

हे उग्ररूपधारी यजमान सदृश आपको नमस्कार है| सोमरूप अमृतमूर्ति हे महादेव! आपको नमस्कार है | 4.



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